कूलेंट क्या है और बाइक और कार के लिए क्यों ज़रूरी है? (What is Coolant and Why is it Essential for Bikes and Cars?)
आज हम जानने वाले है कि कूलेंट क्या होता है और ये बाईक और कार के लिए इतना ज्यादा महत्वपूर्ण क्यों होता है। अगर आपको बाईक और कार से जुड़ी बेसिक जानकारी चाहिए तो यूटयूब पर हमे सब्सक्राइब करें। सब्सक्राइब करने के लिए यूटयूब ऐप में सर्च करें Bike and Car Care या यहाँ क्लिक करें
हर बाइक और कार को चलाने के लिए उसमे इंजन लगा होता हैं, और इस इंजन को चलाने के लिए हवा और फ्यूल/ईंधन को एक साथ जलाया जाता है जिससे इंजन के अंदर का तापमान काफी ज्यादा बढ़ जाता है और इस तापमान को नियंत्रित करने के लिए हम उपयोग करते हैं एक ख़ास चीज़, जिसे हम कहते हैं "कूलेंट"।
कूलेंट एक मिश्रण होता है जिसमें पानी और एथिलीन ग्लाइकॉल होता है। पानी एक अच्छा ऊष्मा अवशोषक है, जबकि एथिलीन ग्लाइकॉल एक एंटीफ्ऱीज़र तत्व है जो पानी को जमने से रोकता है। कूलेंट को सामान्यत इंजन के रेडिएटर में भरा जाता है और एक पंप की हेल्प से पूरे इंजन में पंप किया जाता है।
कूलेंट इंजन के अंदर जाने पर उससे ऊष्मा/गर्मी को अवशोषित करता है और फिर कूलेंट रेडिएटर में वापस जाता है, और हवा लगने से ऊष्मा को हवा में छोड़ देता है और फिर से ठंडा हो जाता है। ये प्रक्रिया इंजन को ठंडा रखने के लिए लगातार होती रहती है।
सभी बाईक में कूलेंट इस्तेमाल नहीं होता है जिन लिक्विड कूल इंजन वाली बाईक में रेडिएटर लगा होता है उनमें कूलेंट का इस्तेमाल होता है।
कूलेंट एक स्पेशल द्रव होता है जिसमें एंटीफ्रीजिंग यौगिक जैसे एथीलीन ग्लाइकोल और कुछ विभिन्न योजक और रंग होते हैं। इसके साथ ही इसमें एंटी संक्षारण योजक(corrosion additives) भी होते है जो इंजन को जंग लगने से बचाते है और उसका जीवनकाल बढ़ा देते हैं। कूलेंट की ये खासियत होती है कि ये काफी कम तापमान पर भी जमता नहीं है जबकि पानी 0⁰C पर जम जाता है। कूलेंट -64⁰C तक भी जमता नहीं है।
वास्तव में गाड़ियों में डाले जाने वाला कूलेंट मिश्रण होता है कूलेंट और आसुत जल (डिस्टिल्ड वाटर) का।
वैसे तो कूलेंट कई प्रकार के केमिकल एलिमेंट्स से बनता है, लेकिन आम तौर पर गाड़ियों के लिए इस्तेमाल होने वाला कूलेंट एथिलीन ग्लाइकोल (Ethylene Glycol) या प्रोपिलीन ग्लाइकोल (Propylene Glycol) से बनता है। ये दोनों पानी में घुल जाते हैं और उच्च तापमान पर भी ठंडा रहते हैं।
कूलेंट का रंग अलग अलग होता है। सही और अच्छी क्वालिटी वाले कूलेंट का रंग सामान्यत हरा या नीला होता है। इसके साथ-साथ, कुछ ब्रांड विशेष कूलेंट भी बनाते हैं, जिनके रंग गुलाबी, बैंगनी, या नारंगी होते हैं।
खराब या पुराने हो चुके कूलेंट का रंग बदल जाता है और यह आम तौर पर गहरे भूरे या काले रंग का हो जाता है। इसका मतलब होता है कि उस कूलेंट में उपयोग किए जाने वाले रसायनिक तत्वों की क्षमता ख़त्म हो गई है। ऐसे खराब कूलेंट को जल्द से जल्द बदलना जरूरी होता है ताकि वाहन के इंजन को सही से ठंडा रखा जा सके।
इसलिए, जब भी आप अपने वाहन की कूलेंट चेक करें, तो इसके रंग का ध्यान रखना बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण होता है।